भारतीय इतिहास में कभी नारी सम्मान के लिए सड़कों पर नारे लगाना या मोमबत्तियां जलाने की परम्परा नहीं थी : शांता कुमार 32 वर्ष पहले 100 से अधिक लड़कियों की गैंग रेप की घटना पर यदि विशेष अदालत बनती तो आज ऐसे अपराधों की इतनी बड़ी संख्या नहीं होती
पालमपुर 22 अगस्त : हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि भारतीय इतिहास में नारी सम्मान के लिए सड़कों पर नारे लगाना या मोमबत्तियां जलाने की परम्परा नहीं थी। नारी सम्मान के लिए भारतीय परम्परा थी ऐतिहासिक महाभारत युद्ध और लंका का दहन। महाभारत के युद्व के बाद हजारों सालों तक नारी सम्मान पर किसी प्रकार की आंच या बलात्कार की कोई घटना नहीं घटी। शांता कुमार ने कहा कि कोलकत्ता की दर्दनाक घटना पर पूरा देश सड़कों पर आकर संघर्ष कर रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस घटना पर गहरा दुख प्रकट किया है। पूरा देश इस भयंकर संकट से ऊभर नहीं पाया और महाराष्ट्र के बदलापुर में इसी प्रकार की एक और घटना घट गई। प्रतिदिन अखवारों में इस प्रकार के समाचार अधिक छपने लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ 4 लाख 45 हजार अपराध रजिस्टर्ड हुए है। शांता कुमार ने कहा है कि आज की अखवारों में मल्यालम सिनेमा के संबध में हेमा समिति की रिपोर्ट पढ़ कर दिल दहल गया। इस विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार मल्यालम सिनेमा में केवल उन्ही महिलाओं को काम दिया जाता था जो सब प्रकार का शोषण सहन करती थी। अपने सम्मान की रक्षा करने वाली महिलाओं को काम नहीं दिया जाता था। उन्होंने कहा कि आज की अखवारों में 32 वर्ष पुराने प्रसिद्ध अजमेर सैक्स स्कैंडल की रिपोर्ट छपी है। 32 वर्ष पहले 100 से अधिक कालेज और स्कूलों की लड़कियों से लंबे समय तक गैंग रेप होता रहा। बहुत से दोषी पकड़े गये। पांच लड़कियों ने आत्महत्या की थी। अब जाकर 6 अपराधियों को उमर कैद की सजा हुई है। शांता कुमार ने कहा कि वह लंबे समय से ऐसे अपराधों के लिये कुछ ठोस सजा की मांग करते आ रहे हैं। पाठक गंभीरता से सोचे कि 32 वर्ष पहले 100 से अधिक लड़कियों की गैंग रेप की उस घटना के लिये यदि विशेष अदालत बनाई होती 6 महीने में फैसला हुआ होता फांसी की सजा दी होती और फांसी की सजा देने की घटना को सार्वजनिक रूप से टेलिविजन पर दिखाया होता तो आज ऐसे अपराधों की इतनी बड़ी संख्या नहीं होती। शांता कुमार ने सरकार और जनता से आग्रह किया है कि इस संकट का एक ही समाधान है, सरकार कानून बदले। रेप के लिये फांसी की सजा का प्रावधान हो । विशेष अदालतों द्वारा 6 महीने में निर्णय हो। फांसी की सजा सार्वजनिक रूप से टेलिविजन पर दिखाई जाये। दुनिया के जिन देशों में ऐसे अपराध बहुत कम है उन देशों में कठोर दण्ड देने का प्रावधान है।
शांता कुमार ने कहा कि निर्भया काण्ड जैसे कई काण्डों पर पिछले 70 वर्षों में कई बार लाखों लोगों ने सड़कों पर नारे लगाये और मोमबत्तियां जलाई पर हुआ कुछ नहीं। अपराध वढ़ते गये। अब सरकार और जनता गंभीरता से इस संबंध में कठोर निर्णय करे।